सर पर मोटी चादर ओढ़े हाथों में अपने से भारी बच्चा ले कर साँवली रंगत वाली रानी चलती बस में मीठी सौंफ-सुपारी बेचने आती है और बस में चारों जानिब बैठे लोगों की ये भूकी नज़रें उस के कपड़े फाड़ के जिस्म के अंदर तक उतरी जाती हैं लेकिन सब से बे-परवा वो साँवली रंगत वाली रानी एक रूपए में एक सुपारी की आवाज़ें बेचती है और सीट पे बैठने वाले कुत्ते मास पे भौंकने वाले कुत्ते अक्सर उस को छू लेने को सौंफ-सुपारी भी खाते हैं जब कोई उस के हाथ को छू ले जाने क्यों वो बच्चे को एक बोसा दे कर अपने सर से चादर खींच के अपना जिस्म छपा लेती है उस पागल लड़की ने जाने कितने बोझ उठा रक्खे हैं उस बच्चे का उस चादर का उन भूकी काली नज़रों का लेकिन फिर भी रात को उस लड़की ने उस से ज़ियादा बोझ उठाना है और ख़ुद से भारी उस बच्चे के भारी बाप को बहलाना है