एक रोज़ की बात है भाई रस की हम ने खीर पकाई पहले रस का मेल निकाला और पतीली में फिर डाला देगची फिर चूल्हे पे चढ़ाई उस के नीचे आग जलाई डाले रस में चावल सुथरे और चलाया धीरे धीरे खिच खिच कर के पकती जाती हम सब से ये कहती जाती चावल बोलो किस ने बनाया खेत में गन्ना किस ने उगाया पक कर जब तय्यार हुई तो तोहफ़ा दिया पड़ोसन बी को ख़ुश हो कर हम सब ने खाई खीर पड़ोसन को भी भाई शुक्र है उस अल्लाह का भाई जिस ने हम को खीर खिलाई