रौशनी का ग़ुलाम By Nazm << तलाश बुज़-दिली >> मेरा साया मेरे क़द से बड़ा है लेकिन जब रौशनी का ज़ाविया बदलेगा साया छोटा हो जाएगा मेरा साया रौशनी का ग़ुलाम है Share on: