हवा उड़ाए रेशम बादल के पर्दे छन छन कर पेड़ों से उतरें रौशनियाँ जैसे अचानक बच्चों को आ जाए हँसी जंगल तीरा-बख़्त नहीं छन छन कर छितनार से बरसो रौशनियो पौदों की रग रग में तैरो रौशनियो जंगल के सीने के कोनों-खुदरों में दबे हुए असरार बहुत ख़्वाब-गज़ीदा नशे में सरशार बहुत नींद नगर को तजने पुर इसरार बहुत कोंपल कोंपल फूटने पे तय्यार बहुत बूढे पेड़ न रस्ता रोको उन ख़्वाबों को जी लेने दो छन छन कर छितनार से बरसो रौशनियो इस मा'सूम हँसी में गरचे रब्त नहीं पल-भर में आँसू बिन जाएँ ज़ब्त नहीं इस मोती के क़ल्ब में उतरो रौशनियो और चमक उस की चमकाओ रौशनियो नगर नगर में तुम सा नाज़ुक लम्स न पाऊँ किरन किरन के लेकिन बरसों बोझ उठाऊँ