बे-इरादा चलेंगे तो ला-हासिली के मसाइब से बच जाएँगे तुम कहोगे कोई फूल रख दूसरे हात पर दिल ही दिल में मैं रो दूँगा इस बात पर मैं कहूँगा नहीं कुछ न कह पाऊँगा क़हक़हा मार कर बस हँसूँगा तुम्हें भी हँसी आएगी बे-इरादा यूँही बे-इरादा हँसेंगे यूँही देर तक फिर ख़याल आएगा: तुम ने इक बात मुझ से कही थी बताओ: वो क्या बात थी तुम कहोगे हटाओ भुला दो उसे आओ चल दें यूँही बे-इरादा कहीं भूल जाएँ कि उस के गुनाहगार हैं उस के क़ातिल हैं हम भूल जाएँ कि अपनी सज़ा मौत है