एक साया सा जो साए की तरह हर पल मेरे साथ रहता है और दो ख़ूबसूरत आँखें हमेशा मेरा तआ'क़ुब करती हैं एक पुर-कशिश आवाज़ बुलाती है मुझ को बार बार एक प्यारा सा वजूद रहता है मेरे आस-पास इस अनजाने से हिसार में हर पल मुक़य्यद हूँ मैं ऐसा लगता है जैसे मैं साज़ हूँ और वो एक आवाज़ रिश्ता ये हमारा सदियों पुराना और सागर से भी गहरा है