नाज़ुक हो गए हैं रिश्ते टूट रहे हैं धागे की तरह मुँह मोड़ लेते हैं लोग दिल तोड़ देते हैं रुख़ फेर लेते हैं बस चले तो यादों को भी खुरच डालें तसव्वुर को भी दिल से निकाल फेंकें हसीन वक़्त की जो यादें हैं ये मगर हो नहीं सकता फिर भी तोड़ के रिश्तों को आते हैं पेश अजनबी की तरह नाज़ुक हो गए हैं रिश्ते टूट रहे हैं धागे की तरह