दुआ ऐ राजा प्रजा के मालिक ऐ सारी दुनिया के मालिक ऐ दोनों आलम के दाता तेरा नहीं किसी से नाता कोई नहीं है तेरा हम-सर तू है सब से बाला बरतर हम हैं तेरे दर के भिकारी शर्म है तेरे हाथ हमारी जिस को चाहे इज़्ज़त दे दे जिस को चाहे ज़िल्लत दे दे इज़्ज़त ज़िल्लत का तू मालिक दोज़ख़ जन्नत का तू मालिक मालिक तू दोनों आलम का ख़ालिक़ तू जिन्न-ओ-आदम का चाहते हैं हम तुझ से इज़्ज़त दे दे मौला दे दे इज़्ज़त इज़्ज़त दे हम को दुनिया में राहत दे हम को उक़्बा में इल्म-ओ-अमल में हिस्सा दे कर कर दे हम को सब से बेहतर याद से अपनी शाद हमें कर दुनिया में आबाद हमें कर अक़्ल भी दे और इल्म अता कर फ़हम भी दे और हिल्म अता कर जिस से तू हो राज़ी मौला बात वही है अच्छी मौला ताअ'त का अपनी चसका दे अपनी उल्फ़त का सौदा दे इश्क़ की बू मौजूद हो दिल में तू ही तू मौजूद हो दिल में बन जाए हर काम हमारा हक़ पर हो अंजाम हमारा