आज गर रोटी नहीं है ग़म न कर तेरी दौलत तो भला महफ़ूज़ है आहनी अलमारियों में क़ुफ़्ल-बंद पढ़ ले हर अख़बार में उस का हिसाब देख ले टी वी पे भी गर नहीं रोटी न हो टी वी तो है क्या कहा टी वी नहीं क्या तिरे बच्चे कहीं पढ़ते नहीं किस तरह नादाँ क़नाअत कर गया आ तुझे बतलाऊँ मैं रोटी का राज़ ला किराए पर कहीं से एक सूट और कोई कार भी कर डिनर का एहतिमाम और रोटी भूल जा वो तो ख़ुद आएगी हर लीडर के साथ