सदा ब-सहरा By Nazm << तआरुफ़ लब पे पाबंदी तो है >> चारों सम्त अंधेरा घुप है और घटा घनघोर वो कहती है कौन मैं कहता हूँ मैं खोलो ये भारी दरवाज़ा मुझ को अंदर आने दो उस के बाद इक लम्बी चुप और तेज़ हवा का शोर Share on: