सख़ावत का फ़रिश्ता By Nazm << तख़्लीक़ शेर रौशनी के ख़ुदा >> सख़ावत के फ़रिश्ते को उतरता देख कर सूरज हुआ रू-पोश बादल में, ज़मीं कहने लगी आओ तलाई, नुक़रई सिक्के उछालो शादमानी के खुलें औराक़ लोगों पर किताब-ए-ज़िंदगानी के Share on: