संग-ए-मील By Nazm << सवाल नया अमृत >> वो एक पत्थर कि जिस से टूटे समुंदरों का सुकूत अक्सर वो एक पत्थर कि जिस को फेंका है दोस्तों ने हमारे सर पर वो एक पत्थर कि जिस से लरज़े हैं सारे शीशा-नगर के घर घर वही मिला संग-ए-मील बन कर Share on: