संगम By Nazm << चाचा नेहरू का ख़त बच्चों ... अधूरी आरज़ू >> प्रयाग में मिली है जमुना से आ के गंगा पिघला हुआ ये नीलम बहता हुआ वो हीरा इन की जुदाइयों ने खींचा है नक़्श-ए-जौज़ा इन की रवानियाँ हैं शान-ए-ख़ुदा-एयकता संगम की सीढ़ियों पर मोती लुढ़क रहा है Share on: