ये सारी दुनिया सवालिया है हर एक चेहरा सवाल अंदर सवाल है और हर एक मंज़र सवाल बन कर जवाब का मुंतज़िर खड़ा है अगर कोई सामने भी आए और आ के इक बात का भी हम को जवाब दे दे तो दर-हक़ीक़त जवाब में भी न जाने कितने सवाल होंगे हज़ार-हा नित-नए मसाइल हमें मिलेंगे कि आज तक तो यही हुआ है जवाब ही से सवाल निकले जवाब ही में सवाल ढूँडे ये सारी दुनिया सवालिया है ख़ुद आदमी इक सवाल है और उसी ने पैहम सवाल उठा के सवाल करने की रीत डाली सवाल-ए-अव्वल भी आदमी है सवाल-ए-आख़िर भी आदमी है जवाब-ए-मुतलक़ भी आदमी है अगर यक़ीं हो तो आदमी पर कमंद डालें सवाल ही में जवाब ढूँडें