बसें चलती रहेंगी अपने रूटों पर ट्रेलर यूँही बंदर-गाह से सामान लाएँगे जहाज़ों और ट्रेनों के शेड्यूल और टाइम-टेबल में न कोई फ़र्क़ आएगा न कोई मसअला होगा दुकानों कार-ख़ानों दफ़्तरों में हाज़िरी मामूल की होगी डबल-रोटी बनेगी और तन्नूरों में ख़मीरी रोग़नी सादी सभी अक़साम की रोटी लगेगी और शिकम-सेरी की ख़ातिर पीत्ज़ा बर्गर सिरी-पाए नहारी के बनाने और पकाने में ज़रा भी जो कमी होगी मैं जिस दिन मर गया उस दिन रक़ीक़-उल-क़ल्ब हैं जो चाहने वाले बहुत रो रो के अपना शाम इक बर्बाद कर लेंगे जो जज़्बाती नहीं इतने वो कुछ पीते हुए इस रात मुझ को याद कर लेंगे