ज़िक्र-ए-अहद-ए-शबाब कौन करे हसरतों का हिसाब कौन करे रंज-ए-माज़ी को याद कर कर के दिल को अपने कबाब कौन करे हुस्न को बे-नक़ाब कौन करे इश्क़ को बा-हिजाब कौन करे शौक़-ए-शुर्ब-ए-शराब कौन करे ऐसा कार-ए-सवाब कौन करे दिल को इस्याँ-नवाज़ कौन करे आक़िबत को ख़राब कौन करे रंग-ए-हस्ती सराब-आसा है ए'तिबार-ए-सराब कौन करे रोके बैठे हैं जो नसीबों को याद उन को जनाब कौन करे लब पे अपने है मोहर-ए-ख़ामोशी फिर सवाल-ओ-जवाब कौन करे