सज़ा By Nazm << शिकस्त रद्द-ए-'अमल >> शब में ख़्वाब के पर्दे पर कल तहत-ए-शु’ऊर की किरनों ने नक़्श-ओ-निगार बनाए सुब्ह को पर्दा हुआ चाक रह गया सिर्फ़ चीख़ता शु'ऊर दुखता बदन परछाइयाँ Share on: