अब कभी अचानक सामना होता है तो खनकती महकती यादों के धुँदलके वो सारे चुम्बन वो सारे लम्स वो सारी ख़ुशबुएँ बिखरने लगती हैं हम हैरत-ज़दा एक दूसरे को देखते हैं कि अब क्या बाक़ी बचा है उस बे-नाम शनाख़्त के जो हम दोनों के बीच से धीरे धीरे मा'दूम होती जा रही है