तुझे जब भी कोई दुख दे इस दुख का नाम बेटी रखना जब मेरे सफ़ेद बाल तेरे गालों पे आन हँसें रो लेना मेरे ख़्वाब के दुख पे सो लेना जिन खेतों को अभी उगना है इन खेतों में मैं देखती हूँ तेरी अंगिया भी बस पहली बार डरी बेटी मैं कितनी बार डरी बेटी अभी पेड़ों में छुपे तेरे कमान हैं बेटी मेरा जन्म तो है बेटी और तेरा जन्म तेरी बेटी तुझे नहलाने की ख़्वाहिश में मेरी पोरें ख़ून थोकती हैं