शाम By Nazm << तंहाई तलाश >> उस ने अम्बर को डस लिया है अभी नीला नीला है सब बदन उस का अब वो ज़हरीली सियाह नागन बढ़ रही है आफ़्ताब की सम्त ज़र्द है ख़ौफ़ से बदन उस का Share on: