शाम पहली फ़रवरी की राइटर्स बिल्डिंग से बस दो क़दम इक गली के मोड़ पर इक जवाँ ख़ून से तर शर्ट सीने के क़रीब और चेहरे पर नुक़ूश-ए-कर्बनाकी-ए-अजल एक पुर्ज़ा यूँ था मुट्ठी में दबा जैसे हो कोई मताअ'-ए-बे-बहा एक गुड़िया चाकलेट लैक्टोजन कापियाँ पेंसिल किताब चूड़ियाँ सुर्मा लिपस्टिक चाय पत्ती और फिर ख़ून के धब्बे सियाही बेबसी की दास्ताँ