समाअ'त का धोका By Nazm << उम्मीद मिरी शहज़ादी थी मैं अजनबी नहीं >> खुला हुआ दरवाज़ा हाँ मगर दबीज़ पर्दा गिरा हुआ बाहर से खुले पट पे एक दस्तक अन्दर से आवाज़ आए समाअ'त का धोका आइए पर्दे का हटना चूड़ियों का खनक उठना हैरतों का हमला शर्मिंदगी की छींटें सुकूत की फ़त्ह नदामत के आँसू दोस्ती का वास्ता Share on: