जब कोई हम से दूर हो जाता है तो हम उसे भूल जाते हैं उस की जगह एक ख़ुदा तख़्लीक़ कर लेते हैं यादों के मंदिर में एक मूर्ती खड़ी कर देते हैं फिर उस की पूजा करने लगते हैं और भूल जाते हैं कि कभी ये भगवान इंसान भी था मैं ने भी तुम्हारे साथ यही किया है अगर तुम कभी मुझे वापस मिल गए तो मेरे ख़्वाब और मैं ख़ुद पारा-पारा हो जाएँगे शायद यही बेहतर हो कि तुम मुझे कभी न मिल सको