न जाने कब से हम दोनों साथ हैं रेल की दो पटरियों की तरह रेल की दो पटरियों की तरह हम सदा साथ चले साथ पहाड़ चढ़े उतरे साथ दरिया पार किए बस्ती इस्टेशन जंगल सहरा सब साथ देखे तेरे साथ बहुतों ने दिन गुज़ारे मैं भी किसी की ज़ीस्त का अमीं रहा सब साथ छोड़ गए तेरा भी और मेरा भी साथ रहे तो बस हम दोनों रेल की दो पटरियों की तरह और सदा एक दूसरे से दूर रहे रेल की दो पटरियों की तरह