शेर जंगल में है उदास बहुत जानवर कम हैं और घास बहुत सोचता है कि क्या करें अब हम कर लिया ग़ौर और क़यास बहुत मा-बदौलत का हो गया पड़ा थी कभी अपनी धोंस-धाँस बहुत सब रेआ'या चली गई ज़ू में नौकरी आई सब को रास बहुत सब के जंगल को छोड़ जाने से हो गया है हमारा लॉस बहुत खाने पीने के पड़ गए लाले चाहिए फैमली को मास बहुत बच्चे उधम मचाए रखते हैं इन को लगती है भूक प्यास बहुत शेरनी ने भी रोज़ लड़ लड़ कर कर दिया है हमारा नास बहुत वो समझती है आज भी हैगा माल-ओ-दौलत हमारे पास बहुत रोज़ मेक-अप का चाहिए सामाँ और दरकार हैं लिबास बहुत उस से शिकवे शिकायतें सुन कर ता'ने देती है हम को सास बहुत जी में आता है ख़ुद-कुशी कर लें ज़िंदगानी से हैं निरास बहुत पर कभी सोचते हैं शहर चलें सूँघ ली जंगलों की बास बहुत जा के सर्कस में नौकरी कर लें गर मिलें तो हैं सौ पचास बहुत