शुक्रिया By Nazm << तहफ़्फ़ुज़ शर्त-ए-रिफ़ाक़त >> तिरी बे-ए'तिनाई का बड़ा एहसान है मुझ पर मुझे उस ने मिरी खोई हुई पहचान लौटा दी कि मुझ को अपनी हस्ती का शुऊ'र-ए-एहतिसाब आया कि सदियों से अधूरे सब सवालों का जवाब आया Share on: