तुम मिरे पास रहो साथ रहो और ये एहसास रहे मैं कि आज़ाद हूँ जीने के लिए और ज़िंदा हूँ ख़ुद अपने अंदर अपनी ही ज़ात में ताबिंदा हूँ अपनी हर साँस पे क़ब्ज़ा है मिरा अपनी पाकीज़ा तमन्नाओं की तकमील का हक़ है मुझ को अपने मासूम से जज़्बात की तर्सील का हक़ है मुझ को ये ज़मीं मेरी भी ये दश्त-ओ-चमन मेरे भी सिर्फ़ आँगन ही नहीं कोह-ओ-दमन मेरे भी जितना उन पर है तुम्हारा वही हक़ मेरा भी शर्त बस ये है कि तुम साथ रहो पास रहो मेरी हर मर्ज़ी में शामिल हो तुम्हारी मर्ज़ी मेरी हर साँस की शाहिद हों तुम्हारी साँसें मेरे हर राज़ की हामिल हो तुम्हारी धड़कन और हम एक ही ज़ंजीर में पा-बस्ता हों