सिपाही से मुख़ातिब होते हुए By Nazm << काएनाती गर्द में बरसात की... इस शहर में >> मेरा क़लम और तुम्हारी बंदूक़ का बट एक ही दरख़्त की लकड़ी से बने हैं इस दरख़्त की लकड़ी से कोई कश्ती बनाई जा सकती थी जिस पर मैं और तुम सवार हो कर समुंदर में सैर के लिए निकल जाते और हादसाती मौत मर जाते Share on: