है कोई तो बात जो वो आवाज़ दबाने पे आमादा है लगा ले जितना दम हो अपना भी मज़बूत इरादा है किफ़ायती ता'लीम-ओ-इलाज की हक़दार है अवाम रक़म वहाँ से निकाले जिन के पास ज़रूरत से ज़ियादा है आगे चल कर यही पढ़ने वाले लोग देश को आगे ले जाएँगे ये क्या तहज़ीब कि ज़रूरत-मंद को कहते हो हराम-ज़ादा है कुर्सी पे बैठ के ख़ुद को वज़ीर समझ रहा है वो बद-गुमाँ उस को ये बता दो कि वो बिसात का बस एक पियादा है