सुब्ह सुब्ह तय्यार हुए स्कूल गए टीचर को देखा अम्मी को भूल गए हम बच्चे हैं ख़्वाबों में खो जाते हैं बस में बैठ के भी अक्सर सो जाते हैं बैग भरा है लेकिन कुछ भी ख़ास नहीं लंच का डिब्बा अगर हमारे पास नहीं बोझ बहुत है नाज़ुक नाज़ुक शानों पर कोई तरस खाए हम नन्ही जानों पर