स्कूल के हमारे उस्ताद प्यारे प्यारे हम को पढ़ा रहे हैं इंसाँ बना रहे हैं क्या क्या नहीं सिखाया यूँ हौसला बढ़ाया बात अन-सुनी बताई दुनिया नई दिखाई की दूर हर बुराई तहज़ीब भी सिखाई करना नहीं लड़ाई होती है जग-हँसाई होते हैं बाप साया उन से ये दर्स पाया तालीम का असर है ऊँचा हमारा सर है उन का जो ये अमल है एहसान-ए-बे-बदल है उन की करेंगे इज़्ज़त पाते रहेंगे शफ़क़त ख़ूबी 'फ़राग़' ने भी उस्ताद की बयाँ की