रंग-ए-चमन बना है गरेबाँ सुब्ह-ए-ईद दामान-ए-गुल से कम नहीं दामान सुब्ह-ए-ईद क्या शय है क्या कहूँ रुख़-ए-ख़ंदान सुब्ह-ए-ईद गोया बहार पर है गुलिस्तान सुब्ह-ए-ईद भूला न रात-भर मुझे आलम हिलाल का उस का ज़ुहूर शाम था एलान सुब्ह-ए-ईद दुश्मन हूँ या कि दोस्त गले आज सब मिलें जारी हुआ ये दहर में फ़रमान सुब्ह-ए-ईद काटी है इंतिज़ार में मैं ने तमाम रात पेश-ए-नज़र था शाम से सामान सुब्ह-ए-ईद हर शय से क्यों न रहमत-ए-हक़ का ज़ुहूर हो ये शान सुब्ह-ए-ईद ये सामान सुब्ह-ए-ईद हासिल हुआ है आज मुझे इम्बिसात-ए-रूह सौ जान से है दिल मिरा क़ुर्बान सुब्ह-ए-ईद सर ख़ुद-बख़ुद झुका मिरा सज्दे के वास्ते वल्लाह मेरे सर है ये एहसान सुब्ह-ए-ईद तार-ए-शुआ-ए-मेह्र हैं सतरें बयाज़ की सुर्ख़ी शफ़क़ की साफ़ है उन्वान सुब्ह-ए-ईद बख़्शिश ख़ुदा की आज है हर रोज़ा-दार पर मामूर ने'मतों से हुआ ख़्वान सुब्ह-ए-ईद क्या दिल-फ़रेब इस की हैं रंगीं-अदाइयाँ फूलों से है भरा हुआ दामान सुब्ह-ए-ईद हाँ लूटना है आज इसे दौलत-ए-विसाल 'बासित' है किस अदा से सना-ख़्वान सुब्ह-ए-ईद