ये वक़्त-ए-सुब्ह ये समाँ ये दीदा-ज़ेब गुलिस्ताँ ये दिल-फ़रेब कियारियाँ तुयूर के ये चहचहे ये दिल-लगी ये क़हक़हे ये मालनें ये बाग़बाँ बहार-ए-जन्नत-ए-नज़र तरब-फ़ज़ा है किस क़दर दरख़्त हैं इधर उधर अजब फ़ज़ा-ए-नूर है सुरूर ही सुरूर है नहीं है कौन शादमाँ ज़मीं से ता-ब-आसमाँ जमाल-ए-दोस्त ज़ौ-फ़िशाँ मिले जो चश्म-ए-आरिफ़ाँ चले मिरी ज़बान-ए-दिल बनूँ में तर्जुमान-ए-दिल सुनाऊँ राज़-ए-क़ुदसियाँ फ़ज़ा बहार-ख़ेज़ है हवा सुरूर-बेज़ है चमन मुझे अज़ीज़ है निसार दिल बहार पर निगाह-ए-मर्ग़-ज़ार पर ये कैफ़-ए-दिल ये बोस्ताँ नज़्ज़ारा-बाज़ हैं कहाँ दिखा रहा है आसमाँ नज़र-फरोज़ सुर्ख़ियाँ ज़ुहूर नूर से ख़जिल रहेंगे सिर्फ़ कोर-दिल करूँगा मैं तो मस्तियाँ ख़याल बादा-रेज़ है ये बादा कैफ़-ख़ेज़ है चमन भी ख़ास चीज़ है गिरह-कुशा-ए-शौक़-ए-दिल असर-फ़ज़ा-ए-ज़ौक़-ए-दिल ये वक़्त-ए-सुब्ह ये समाँ