कहो कि रात नादाँ है अजब से ख़्वाब बुनती है कहो कि चाँद आधा है बहुत बेचैन दिखता है कहो कि सर्द मौसम में ज़रा सी गर्म चाहत है कहो कि नाम उल्फ़त का मेरे नज़दीक बैठा है कहो कि याद पैहम सी ज़रा सा शोर करती है कहो कि दिल मचलता है ज़रा रंजूर करता है कहो कि सर्द साँसें भी अजब तस्कीन देती हैं कहो कि नाम उस का भी हथेली पर लिखा है अब कहो सब कुछ वो जो तुम को बहुत पहले ही कहना था कहो सब कुछ मगर दिल के सितारे पास ही रखना अगर ये टूट जाएँ तो बहुत तकलीफ़ होती है बहुत तकलीफ़ होती है