ताज-महल सी लगती हो By मोहब्बत, इश्क़, लव, Nazm << बग़ावत कौन करे रब भी तैरे जैसा है माँ >> सर पे अपने जूड़ा बाँधे माँझी की उम्मीद लगाए भीगी उजली सुब्ह में तुम कोहरे की चादर में लिपटी नदी किनारे सोच में गुम ताज-महल सी लगती हो Share on: