तलाश-ए-ज़ात By Nazm << वो एक शब्द साँप को पकड़ लो >> अपने आँगन में मैं ने लगाया था कैक्टस का एक पौदा उस के तेज़ तुंद काँटे मेरे दामन से उलझ गए फटे आँचल से तन को ढाँकती मैं अपने आप को ढूँढती फिर रही हूँ Share on: