ख़ामोश था साहिल लहरें भी थम चुकी थीं पानी में झाँकते हुए तारों की एक लड़ी थी चुपके से बह रही हवा में साँसों की आवाज़ थी खोया तो कुछ नहीं था फिर भी जाने क्या तलाश थी तन्हाई में अक्सर जो याद आई है ये वो बात है हम को तो याद आज भी पहली वो मुलाक़ात है एक शख़्स जो था अजनबी दो क़दम पर आ कर रुक गया उस ने न कुछ कहा मगर फिर भी बहुत कुछ कह गया अब न था ख़ामोश साहिल न लहर ख़ामोश थी तारे सँवर चुके थे हवा में अजब सी बात थी कितना हसीं मंज़र था वो हर बात में कोई बात थी शायद यही वो पल था जिस की बरसों से तलाश थी लेकिन लेकिन जो था वो था कभी यही सच है कि वो अब नहीं शायद मुक़द्दर में हमारे पहले सी कोई शब नहीं आज बरसों बा'द फिर क़दम वहीं को चल दिए आँखों में इंतिज़ार और सवालों के भँवर लिए बदला नहीं कुछ आज भी वही पहले सा अंदाज़ है ख़ामोश है साहिल लहरें भी थम चुकीं हैं पानी में झाँकते हुए तारों की एक लड़ी है चुपके से बह रही हवा में सिसकियों की आवाज़ है जिसे खो चुके हैं हम हमें उस अजनबी की तलाश है उस अजनबी की तलाश है