आओ आज से हम भी ख़ौफ़ ख़ौफ़ हो जाएँ ख़ौफ़ भी तो नश्शा है ख़ौफ़ भी तो क़ुव्वत है ख़ौफ़ के लिए भी तो जान की ज़रूरत है आओ अपनी ताक़त को हम भी आज़मा देखें ख़ौफ़ ख़ौफ़ हो जाएँ ख़ुद-नुमाई के तेवर ढंग पर्दा-दारी के हम-नवाई के दावे रंग दुश्मनी के सब, ख़ौफ़ की अलामत हैं क़ुर्बतों की ख़्वाहिश में सर-गिरानियाँ क्या क्या दूरियों के हक़ में भी मारके दलाएल के एक आँख लज़्ज़त है एक आँख वहशत है हम ने दोनों आँखों से कोई शय नहीं देखी आओ दोनों आँखों को बंद कर के रख छोड़ें और फिर कोई भी शय सोच लें कि ऐसी है ख़ौफ़ ख़ौफ़ हो जाएँ