रिश्ते मेरे मन की उतरन है क़ुर्बतों का लम्स दाइमी नहीं तन्हाई का लम्स सच्चा है पर मन पगला है बच्चे जैसे रोता है मोहब्बत पहनना चाहता है दिल की मोहब्बत रात को सड़कों पे बिकते ग़ुबारों जैसे होती है जिस की गैस आधी रात को घर पहुँचने तक निकल जाती है जानती हूँ पर मन पगला है बच्चे जैसे रोता है