मैं ने एक साहिल से एक सीपी उठाई और अपने आँसू को उस में बंद कर के दूर गहरे समुंदर में फेंक दिया मैं ने अपने हाथों पर इक तेज़ छुरी से लम्बे सफ़र की लकीर बनाई और ऐसे जूते ख़रीदे जो चलते हुए पैरों को हमेशा ज़ख़्मी रखते हैं अब की दफ़अ' मैं ने घर बनाया है ऐसे शीशों का जिन में सिर्फ़ अंदर का अक्स रहता है और ऐसी आग का जो ज़रूरत पड़ने पर ख़ुद ही जल उठती है और ऐसी हवा का जिस के लिए कोई दरवाज़ा खोलने की ज़रूरत नहीं और ऐसी चीज़ों का जो अपनी अपनी जगह पर फ़र्श से जुड़ी हुई हैं मैं ने अपने मौसमों को चुरा लिया है और घास के मैदानों को रेगिस्तानों को आसमानों को मैं ने एक तितली को एक किताब में छुपा लिया है और इक ख़्वाब को आँखों में और मोहब्बत को जानने के लिए मैं ने एक नज़्म पढ़ी है और आवाज़ के लिए इक गीत गाया है मैं ने घुप अँधेरे में आँखें बंद कर के घर के शीशों में ख़ुद को देखा है और याद किया है एक आदमी को जो गहरे समुंदर में वो सीपी ढूँडने उतर गया जिस में मैं ने अपना आँसू क़ैद कर के फेंका था