तेरा ख़याल By Nazm << औरत क़ौस-ए-क़ुज़ह >> तेरा ख़याल जैसे कड़ाके की धूप में तारीक बंद कमरे में ठंडी सी एक शाम गुल-दान में सजा हुआ ताज़ा सा एक फूल या ज़िंदगी के हाथ में सरमस्त एक जाम Share on: