आ कि दिल की चाँदनी रू-पोश है तेरे बग़ैर आ कि साज़-ए-ज़िंदगी ख़ामोश है तेरे बग़ैर ईद हो तुम को मुबारक हाँ मगर मेरे लिए ज़िंदगी क्या है वबाल-ए-दोश है तेरे बग़ैर आ कि ज़हर अब बादा-ए-सर-जोश है तेरे बग़ैर है ख़िज़ाँ-आलूदा सुब्ह-ए-गुलसिताँ तेरे बग़ैर ख़ंदा-ए-गुल है तबीअ'त पर गराँ तेरे बग़ैर जल्वा-ए-सर्व-ओ-समन में अब कहाँ वो दिलकशी ग़र्क़ हसरत है दिल-ए-ना-शादमाँ तेरे बग़ैर आ कि महरूम-ए-तरब हूँ जान-ए-जाँ तेरे बग़ैर रो रहे हैं ग़ुन्चा-ओ-बर्ग-ओ-शजर तेरे बग़ैर बाग़ की सारी फ़ज़ा है नौहागर तेरे बग़ैर इक बसीत एहसास-ए-महरूमी मिरी हर साँस में कर रहा है ज़िंदगी को मुख़्तसर तेरे बग़ैर आ कि अब तारीक है सारा जहाँ तेरे बग़ैर दिल को आए क्या मोहब्बत में सुकूँ तेरे बग़ैर हो गए अक़्ल-ओ-ख़िरद नज़्र-ए-जुनूँ तेरे बग़ैर दिल है और आठों-पहर इक वहशत-ए-बे-इख़्तियार आँख है और बारिश-ए-सैलाब-ए-ख़ूँ तेरे बग़ैर आ कि रुस्वा है मिरा हाल-ए-ज़बूँ तेरे बग़ैर