शो शुरूअ' होने से बहुत पहले हाल भर चुका था शीशे के बड़े चेम्बर में पानी भर कर बाज़ीगर ने आख़िरी डुबकी लगाई और लोगों ने देखा उस के हाथों की ज़ंजीरें मुक़फ़्फ़ल थीं जिन्हें वो जान-बूझ कर मुक़र्ररा वक़्त के अंदर खोलना भूल गया था उस की बे-जान खुली आँखों में गुज़शता रात उस की महबूबा के कहे हुए अल्फ़ाज़ कंदा थे