तुम नहीं माने By Nazm << उस तरफ़ तराना-ए-रेख़्ता >> सोचो फिर एक बार ग़ौर से जब तुम पैदा हुए थे तुम्हारी माँ कितना फूट कर रोई थी लेकिन तुम नहीं माने Share on: