उस तरफ़ By Nazm << वा'दा तुम नहीं माने >> उन्हें अज़ल की तितलियों के रंग की तलाश थी ख़ुदा के छूटते हुए ख़दंग की तलाश थी तो वो हर इक मुहावरे के उस तरफ़ चले गए ज़मीं के हर मुआशरे के उस तरफ़ चले गए वहाँ जहाँ से जंगलों के रास्ते क़रीब थे वहाँ जहाँ से ज़िंदगी के हाफ़िज़े क़रीब थे Share on: