गर कभी कोई लम्हा ऐसा ज़ख़्म दे जाए कि कोई भी मरहम इस ज़ख़्म को न भर पाए तुम उदास मत होना महव-ए-यास मत होना ज़िंदगी के सब मौसम एक से नहीं होते सारे लोग ऐ हमदम एक से नहीं होते ज़िंदगी की राहों में हादसे भी आते हैं सानहे भी आते हैं सानेहों से कुछ बढ़ कर वाक़िए भी आते हैं वक़्त ही के मरहम से ज़ख़्म भर भी जाते हैं दिन बुरे हों या अच्छे बस गुज़र ही जाते हैं वक़्त को गुज़रना है ज़ख़्म को भी भरना है दर्द के चढ़े दरिया को अभी उतरना है तुम उदास मत होना महव-ए-यास मत होना