मैं हसीं हूँ मगर इस क़दर भी नहीं मुझ को मालूम है जानती हूँ कि मैं तेरे अल्फ़ाज़ की सब है जादूगरी तेरे अल्फ़ाज़ ने और जुनूँ ने तिरे अपने शे'रों में कर के बयाँ मेरा हुस्न दिलकशी को मिरी शाइरी को मिरी एक पहचान दी हर ज़बाँ पर मिरा तज़्किरा है'' मगर मुझ को सच सच बता ऐ सुख़नवर मिरे ऐ मिरे जादूगर तेरे अशआ'र ने गुफ़्तुगू ने तिरी और जुनूँ ने तिरे मुझ को पहचान दी मेरा चर्चा किया या ज़माने में बस मुझ को रुस्वा किया