तुम्हारे लब पे थी मैं भी By Nazm << उल्टा चक्कर तुलूअ' से पहले >> ये आँखें मेहरबाँ थीं हम-नफ़स हमदर्द अपनी थीं मगर अब इन से कोई अजनबी सी आँच आती है मुझे ये तो नहीं मा'लूम कैसे आग भड़की है जला क्या है बचा क्या है मगर इतना तो बतला दो तुम्हारे राख-दाँ में अध-पिए सिगरेट हैं या मैं हूँ Share on: