ख़ाला उस की लकड़ी लाई फूफी लाई दिया-सलाई अम्मी जान ने आग जलाई टूट बटूट ने खीर पकाई देगची चमचा नौकर लाए भाई चावल शक्कर लाए बहनें लाईं दूध-मलाई टूट बटूट ने ख़ैर पकाई अब्बा ने दी एक इकन्नी ख़ालू ने दी डेढ़ दूवन्नी टूट बटूट ने आधी पाई टूट बटूट ने खीर पकाई जूँ-ही दस्तरख़्वान लगाया गाँव का गाँव दौड़ा आया सारी ख़िल्क़त दौड़ी आई टूट बटूट ने खीर पकाई मेंडक भी टर्राते आए चूहे शोर मचाते आए बिल्ली गाना गाती आई टूट बटूट ने खीर पकाई कव्वे आए कें कें करते तोते आए टें टें करते बुलबुल चोंच हिलाती आई टूट बटूट ने खीर पकाई धोबी कुंजड़ा, नाई आया पंसारी हलवाई आया सब ने आ कर धूम मचाई टूट बटूट ने खीर पकाई गाँव भर में हुई लड़ाई खीर किसी के हाथ न आई मेरे अल्लह तिरी दुहाई टूट बटूट ने खीर पकाई