उलझन By Nazm << यादें आख़िरी ख़्वाहिश >> न सूरज बूढ़ा होता है न चाँद पुराना लगता है आसमान के सारे तारे आज भी नन्हे बच्चों जैसे लगते हैं इन की उम्र कहाँ ठहरी है Share on: